
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत कार्यक्रम पर एक और विवाद पैदा हो गया है। ताजा विवाद कार्यक्रम के ब्रांड एंबेसडर की नियुक्ति को लेकर है। खुद को नैतिक हैकर कहने वाले 30 वर्षीय अंकित फाडिया को कार्यक्रम का ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने की खबर जहां पहले से मीडिया में चल रही थी, वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने इस तरह के दावे का खंडन करते हुए एक बयान जारी किया।
बयान में कहा गया है, “सरकार के डिजिटल भारत कार्यक्रम के लिए ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करने की खबरें आ रही हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करने की ऐसी कोई कवायद नहीं की जा रही है।”
रोचक यह है कि सरकार के प्रचार वेबसाइट पर पोस्ट जारी करने के एक घंटे के बाद ही उसे हटा लिया गया।
विभाग के एक प्रवक्ता ने आईएएनएस से कहा, “हमारे एक अधिकारी ने बिना जरूरी अनुमति के अनजाने में इसे पोस्ट किया था। हम सही स्थिति आपको शाम तक बताएंगे।”
उधर फाडिया ने कहा कि उन्हें एक जुलाई को नियुक्ति पत्र दिया गया था, जिस पर तत्कालीन सूचना प्रौद्योगिकी सचिव राम सेवक शर्मा का हस्ताक्षर है, जो अब भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष हैं।
फाडिया ने आईएएनएस को भेजे गए एसएमएस में कहा, “हां! मैंने कल फेसबुक पर प्रमाणपत्र पोस्ट किया था। हमारे पास सरकार द्वारा भेजा गया ईमेल भी मौजूद है।”
फाडिया के फेसबुक पोस्ट में कहा गया है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत कार्यक्रम के ब्रांड एंबेसडरों में एक के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए आभारी और गौरव महसूस कर रहा हूं।”