
गद्दाफी ने हथियारों के व्यापार पर कड़ाई से नियंत्रण किया, लेकिन साल 2011 में उसके पतन के बाद सरकारी हथियारों के जखीरे को लूटकर उसे काले बाजार तक पहुंचा दिया गया।
सोशल नेटवर्किं ग साइट फेसबुक व व्हाट्स एप का इस्तेमाल युद्धग्रस्त लीबिया में एके-47 तथा भारी मशीनगनों की बिक्री के लिए किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी से संबंधित वेबसाइट द वर्ज की एक रपट के मुताबिक, विशेषज्ञ कंसल्टैंसी कंपनी, आर्मामेंट रिसर्च सर्विसिस (एआरईएस) द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों पर आधारित और जेनेवा स्थित स्माल आर्म्स सर्वे द्वारा तैयार की गई इस रपट में कहा गया है कि इस खतरनाक प्रवृत्ति की शुरुआत तानाशाह मुअम्मार गद्दाफी के पतन के बाद हुई थी। गद्दाफी ने लीबिया पर 40 वर्षो से अधिक समय तक शासन किया था।
गद्दाफी ने हथियारों के व्यापार पर कड़ाई से नियंत्रण किया, लेकिन साल 2011 में उसके पतन के बाद सरकारी हथियारों के जखीरे को लूटकर उसे काले बाजार तक पहुंचा दिया गया।
एआरईएस के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 18 वर्षो के दौरान छोटे हथियारों की बिक्री की जा रही थी, लेकिन अत्याधुनिक हथियारों की बिक्री भी अब चरम पर है।
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एआरईएस के निदेशक एनआर जेंजेन-जोंस ने कहा कि अधिकांश हथियारों को सोशल वेबसाइटों पर निजी व खुले ग्रुप में बिना कीमत बताए बेचा जा रहा है।
समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के मुताबिक, उसने सीरिया, इराक व यमन में सोशल नेटवर्किं ग साइटों पर हथियारों की बिक्री देखी है। अखबार के मुताबिक, हथियारों को ऑनलाइन बेचने का धंथा उन इलाकों में अधिक देखा जा रहा है, जहां आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) की मजबूत पकड़ है।
लीबिया में सोशल मीडिया पर एक विमान भेदी प्रणाली की कीमत 62 हजार डॉल बताई गई।