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ग्रामीण छात्रों को ‘कॉस्मो’ दे रहा डिजिटल शिक्षा

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डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने की दिशा में सार्वजनिक-निजी सहयोग का एक उदाहरण पेश करते हुए ‘कॉस्मो फाउंडेशन’ गुजरात के करजन जिले के आठ गांवों में सरकारी स्कूलों में बच्चों और युवाओं को कंप्यूटर शिक्षा मुहैया करा रहा है, जहां इलाके के 43 से भी अधिक गांवों के छात्र आते हैं।

सात वर्ष के अंतराल में फांउडेशन ने आठ गांवों में 10 विद्यालयों के कक्षा एक से 12 के करीब 1600 छात्रों के लिए एक कंप्यूटर साक्षरता कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस पाठ्यक्रम में कंप्यूटर फंडामेंटल, राइटर, स्प्रेडशीट, प्रेजेंटेशन, सोशल नेटवर्किं ग, ई-कॉमर्स, गेम्स और डिजिटल आर्ट मॉड्यूल शामिल हैं।

कंप्यूटर शिक्षा कार्यक्रम की मदद से मुख्यधारा की शिक्षा में भी छात्रों की दिलचस्पी बढ़ाने और स्कूलों में छात्रों की अनुपस्थिति दर को कम करने में मदद मिली है। इस प्रयास से माइक्रोसॉफ्ट और लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में कंप्यूटर कुशलता के साथ-साथ गणितीय एप्लिकेशन और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हासिल कर रहे छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ाने में भी मदद मिली है।

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फाउंडेशन यह भी सुनिश्चित करता है कि ये केंद्र पूरे वर्ष अच्छी तरह काम करते रहें। इसके तहत छात्रों को सीखने की सुविधा मुहैया कराने के लिए स्कूलों की छुट्टियों के दौरान भी ये केंद्र काम करते हैं।

यह फाउंडेशन एक वैश्विक फर्म ‘कॉस्मो फिल्म्स’ की सीएसआर इकाई है, जो बाई-एक्सियली ओरिएंटेड पॉलीप्रॉपलिन (बीओपीपी) का विनिर्माण करती है। कॉस्मो फाउंडेशन वर्ष 2008 में अपनी शुरुआत से ही सामाजिक जिम्मेदारी की कई गतिविधियों में लगा हुआ है।

यह फांउडेशन इलाके में रहने वाले युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण मुहैया कराने में मदद करता है, ताकि उन्हें कंप्यूटर साक्षरता केंद्रों में शिक्षकों के तौर पर भर्ती किया जा सके। इससे बड़ी संख्या में स्थानीय युवाओं के लिए संभावनाएं बढ़ाने में मदद मिली है।

चोरांडा गांव के कनम विद्यामंदिर में मिहिर रोहित इस फाउंडेशन की मदद से अपना करियर संवारने वाले युवाओं में से एक हैं। उनके पिता स्थानीय डाकखाने में एक खजांची हैं, जबकि उनकी माता एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं।

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फाउंडेशन के सहयोग से मिहिर माइक्रोसॉफ्ट वर्ड और पावरप्वॉइंट प्रेजेंटेशन की आधारभूत जानकारी हासिल कर चुके हैं। अब उनके पास न केवल पेशेवर कुशलताएं हैं, बल्कि वह अपने छोटे भाई-बहनों को भी कंप्यूटर चलाना सिखाने में मदद कर रहे हैं।

मिहिर कहते हैं, “मेरे गांव में कॉस्मो फाउंडेशन के प्रयासों के फलस्वरूप जो ज्ञान मैंने हासिल किया, उससे न सिर्फ मेरी बल्कि मेरे पूरे परिवार और पूरे समुदाय की किस्मत बदल गई है।”

मेथी गांव के पूज्य जसुबा स्वामी विद्या मंदिर के एक स्थानीय जिग्नेश वसावा उस वक्त नौवीं कक्षा में थे, जब कॉस्मो फाउंडेशन ने अपना प्रयास शुरू किया। दो अकादमिक सत्रों की गर्मियों की छुट्टियों के दौरान उन्होंने जो कुशलता हासिल की, उसके दम पर उन्हें करजन के ब्लॉक मजिस्ट्रेट के लिए डेटा-इंट्री का काम मिल गया।

जिग्नेश का कहना है, “मेरे परिवार के पास एक ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम में भेजने के लिए धन नहीं था, लेकिन कॉस्मो फाउंडेशन के प्रयासों की वजह से आज मैं कंप्यूटर अच्छी तरह चला सकता हूं। इससे एक अच्छा रोजगार पाने की मेरी संभावना बढ़ गई है।”

करजन में फाउंडेशन के प्रयासों का नेतृत्व करने वाली ममता बक्सी ने बताया कि कंप्यूटर साक्षरता को बढ़ावा देने के अलावा फाउंडेशन इस इलाके में एक डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने के लिए अन्य गतिविधियों का आयोजन भी करता है।

ममता बताती हैं, “हम हर साल एक पुरस्कार समारोह का आयोजन करते हैं, जिसमें फाउंडेशन से जुड़े सभी स्कूलों के तीन सर्वश्रेष्ठ छात्रों को लैपटॉप और इंटरनेट डोंगल देकर सम्मानित किया जाता है। इससे उन्हें अपनी कंप्यूटर कुशलता का अनुभव हासिल करने का अवसर मिलता है, जिससे आगे चलकर उनका जीवनस्तर सुधरेगा और उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद मिलेगी।”

फाउंडेशन ग्राम पंचायतों, बैंकों, डेयरियों, सरकारी मेलों, वाई-फाई गांवों जैसे महत्वपूर्ण ग्रामीण प्रशासन के नियमित दौरों का भी आयोजन करता है, ताकि कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के प्रयोग के जरिए किए जाने वाले काम को समझा किया जा सके।

कॉस्मो फाउंडेशन की प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करना भी है कि इसके शिक्षक प्रौद्योगिकी में होने वाले नए नवाचारों और विकास से जुड़े रहें। इसके लिए एक ई-कम्युनिटी की शुरुआत की गई है, जहां छात्र, शिक्षक और अन्य पक्ष डिजिटल आधार पर एक दूसरे से ई-समूहों के साथ ही सोशल मीडिया के जरिए जुड़े हैं।

फाउंडेशन ने फेसबुक, व्हाट्सएॅप जैसे सोशल मीडिया और नेटवर्किं ग प्लेटफॉर्मो पर कई ग्रुपों की शुरुआत की है, ताकि पुराने छात्रों को करियर में दिशा-निर्देश मुहैया कराया जा सके, शिक्षकों और छात्रों के बीच जानकारी साझा करने और एक छात्र आउटरीच प्रोग्राम को प्रोत्साहित किया जा सके।

‘डिजिटल इंडिया’ के लिए करीब 2,50,000 गांवों को आगे बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे के अलावा कंप्यूटर साक्षरता बढ़ाने की सख्त जरूरत है।


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